गऊसेवा

गऊसेवा

गऊ ग्रास योजना

हमारी संस्कृति की मान्यता है कि जिस घर में गऊ माता का निवास होता है एवं जहाँ गऊ सेवा होती है, उस स्थान पर समस्त कलेशों का नाश होता है। लेकिन सेवा के लिए सम्पूर्ण भाव भी जरूरी है और जब तक हम आंतरिक रूप से इस बात को स्वीकार नहीं करेगें कि गाय सिर्फ एक पशु नहीं है, तब तक हम ठीक से उसकी सेवा नहीं कर पाएंगे। सेवा सदा सेव्य की होती है और यह तब तक संभव नहीं है जब तक हमारे आचरण में सेव्य के प्रति आदर और सम्मान की भावना न आ जाए। गाय ही साक्षात भगवान स्वरूप है इस बात को स्वीकार कर हम गऊसेवा करे तो भगवतप्राप्ति भी हो जाएगी।

गऊ संवर्धन अक्षय योजना (Lifetime)


“आपके साथ भी, आपके बाद भी “
देशी गऊवंश के संरक्षण एवं संवर्धन हेतु विशेष खान पान एवं रख रखाव के साथ नस्ल में हो रहे अतिरिक्त खर्च में 1,50,000 रू प्रति गाय(lifetime) का सहयोग देकर भारतीय गऊवंश की रक्षा कर पुण्य प्राप्त करें| इस योजना में 1 लाख रुपया बैंक में स्थायी निधि के रूप में सुरक्षित रखा जाता है| तथा एक देशी दुधारू गाय के दूध से अन्य 5 गऊवंश का रख रखाव संभव हो पाता है|


गऊ स्वामिनी योजना


अपने बच्चों के जन्म दिवस, विवाह दिवस एवं परिवार के अन्य मांगलिक कार्यों के साथ-साथ अपने पूर्वजों की पुण्यतिथि पर गऊ माता का मुहं मीठा करवाकर पुन्य के भागिदार बनें| इसमें दानदाता 1500 रूपये दान देकर 50 किलोग्राम अनाज, गुड, नमक, हल्दी, अजवायन, तेल, मेथी व अन्य जड़ी बूटिओं, से युक्त सामग्री को पकाकर बनाई गयी  स्वामिनी  को अपने हाथों से खिला सकता है|

राम रोटी योजना


अंकुरित दाना (250 रू प्रति तसला): गऊमाता को सुखा दाना, चूरी, खांडा, दलिया आदि के स्थान पर अधिक गुणकारी, पौष्टिक एवं सुपाच्य अंकुरित दाना खिलाकर पुन्य प्राप्त करें|
रामरोटी (5 रू प्रति रोटी) श्रद्धापूर्वक गऊमाता को अपने हाथों से खिलाकर पुण्य प्राप्त करें|

गोलक पेटी


गऊ भक्तों की प्रतिदिन गऊ माता के लिए कुछ राशि अर्पित करने की इच्छा को पूरा करने के लिए यह योजना चलाई गई है। गऊ माता की धातु से निर्मित अत्यन्त आकर्षक मूर्ति को गोलक पेटी का स्वरूप दिया गया है। गऊभक्त यह मूर्ति गऊशाला से सशुल्क प्राप्त कर अपने घर या कार्यालय में रख सकते है। और अपनी सुविधानुसार किसी भी समय इस पेटी में राशि डाल सकते है।
गोलक पेटी भर जाने पर गोभक्त स्वयं इसे गऊशाला पहुंचा कर इस की रसीद प्राप्त कर सकता है या गऊशाला को फोन कर वहां से सेवक को बुलाकर इसे खुलवाकर रसीद प्राप्त कर सकता है इस योजनाओं में समर्पित राशि से गऊमाता को उल्लेखनीय सहयोग प्राप्त होता है।